'आज फिर बेफ़िक्री का जाम छलकाना है, आज भी बेपरवाह साकी की तलाश बाकी है।' जीवन की उदासी को बयाँ करती ... 'आज फिर बेफ़िक्री का जाम छलकाना है, आज भी बेपरवाह साकी की तलाश बाकी है।' जीवन की...
'ये जो साक़ी ने फिर एक जाम भर डाला है, शायद अब मुझे हराने के इंतेज़ाम हो रहे है।' जीवन के उतर-चढाव को ... 'ये जो साक़ी ने फिर एक जाम भर डाला है, शायद अब मुझे हराने के इंतेज़ाम हो रहे है।' ...
जाम मैंने पिया था किसी प्याले से नहीं किसी की आँखों से जाम मैंने पिया था किसी प्याले से नहीं किसी की आँखों से
सूफियाना सी बंदगी है और दुआएं उम्रभर; कोशिश करके भी जाम ख़ाली न रहा साकी। सूफियाना सी बंदगी है और दुआएं उम्रभर; कोशिश करके भी जाम ख़ाली न रहा साकी।
पर यकीन मानों भावना ज़मीर से ना गिरते हैं। पर यकीन मानों भावना ज़मीर से ना गिरते हैं।